Musroom Farming

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जी हाँ! बात हो रही है फूड ऑफ गॉड (Food of God) मशरूम की!

मशरूम का उत्पादन अत्यंत सरल है और इसकी पौष्टिकता इतनी कि पूरी दुनिया ने इसका लोहा माना है। अपने बहुमूल्य गुणों की वजह से इसे सुपर फूड का दर्जा भी हासिल है । भारत में जहां एक ओर इसे सब्जियों की मलिका कहते हैं वहीं कुम्भ, छत्रक और धरती का फूल इसके अन्य नाम हैं।

वैज्ञानिक रूप से देखें तो मशरूम वनस्पति जगत का कवक है। मशरूम वनस्पति कुल का वह फफूँद है जो मांसल  होने के साथ ही क्लोरोफिल रहित होता है। मशरूम की कई प्रजातियों में कुछ प्रजातियाँ ऐसी हैं जिनका प्रयोग बहुतायत में भोजन के रूप में किया जाता है।

मशरूम की खेती क्यूँ!

सरल शब्दों में कहें तो जैसे बैगन एक फल है वैसे ही मशरूम भी एक फल ही है। जैसे बैगन में बीज होती हैं वैसे ही मशरूम में भी बीज होते हैं पर वो इतने छोटे होते हैं की उन्हें हम अन्य बीजों की तरह प्रयोग में नहीं ला सकते। जैसे बैगन का पौधा होता है वैसे ही मशरूम का पतले रेशे जैसा पौधा होता है जिसे माईसेलियम (mycelium) कहते हैं। खाद्य पदार्थों पर जो फफूंद हम प्रायः देखते हैं वो वास्तव में एक प्रकार का माईसेलियम ही होता है।

मशरूम की खेती के लिए माईसेलियम की खेती की जाती है जिससे मशरूम की फसल निकलती है।इसके लिए माईसेलियम के वानस्पतिक प्रसार (Vegetative propagation) के गुण का उपयोग किया जाता है। उपयोगी माईसेलियम से मशरूम की खेती के लिए पहले माईसेलियम उगाया जाता है और इसके लिए विशेष व्यवस्था करनी पड़ती है अन्यथा अवांछित श्रेणी के माईसेलियम भी उग आते हैं। वानस्पतिक प्रसार कर मशरूम उत्पादन के लिए तैयार माईसेलियम को स्पॉन कहते हैं। यदि आप बहुत विस्तार में मशरूम उत्पादन में नहीं हैं तो बाजार से स्पॉन खरीद लेना श्रेयस्कर रहता है।

मशरूम की खेती के मुख्य पाँच चरण हैं-

मशरूम के प्रचलित प्रकार

वैज्ञानिकों के अनुसार मशरूम की हजारों किस्में हैं किन्तु खेती की दृष्टि से देखें तो मशरूम की कुछ ही किस्में महत्वपूर्ण और अच्छी मानी जाती हैं। कुछ लोकप्रिय मशरूम किस्में इस प्रकार हैं-

 

मशरूम की खेती का प्रशिक्षण

यूं तो मशरूम की खेती के प्रशिक्षण के लिए अनेक सरकारी और गैर-सरकारी संस्थाएं सक्रिय हैं, पर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का खुम्ब अनुसंधान निदेशालय (Directorate of Mushroom Research जिसे पहले National Research Centre for Mushroom के नाम से जाना जाता था), इनमें अग्रणी है। ये निदेशालय हिमाचल प्रदेश में सोलन में स्थित है। विस्तृत विवरण के लिए देखें वेबसाईट http://www.nrcmushroom.org

इसके अतिरिक्त भारत सरकार के लगभग सभी कृषि विज्ञान संस्थान मशरूम की खेती के प्रशिक्षण में सहयोग देते हैं। अपने निकट के कृषि विज्ञान केंद्र या उद्यान विभाग के कार्यालय से संपर्क कर इस संबंध में उचित सहायता ली जा सकती है.

आग्रिकाश के मशरूम उद्यम से भी इस संबंध में जानकारी ली  जा सकती है। इसके लिए आप फोन नंबर 9936358982 पर संपर्क कर सकते हैं। जानकारी ईमेल info@agrikaash.com पर मेल कर भी मंगायी जा सकती है।