आश्चर्यजनक रूपसे सतत परिश्रम करने वाले जीव मधुमक्खी की बात हो रही है। कहा जाता है कि हवा में उड़ता पैसा देखना हो तो मधुमक्खियोंको देखिए। इनके सात से अधिक उत्पादों की राष्ट्रीय और अन्तराष्ट्रीय बाजार में भारी मांग है। महान वैज्ञानिक आइन्स्टाइन का कहना था की मधुमक्खियों के बिना पृथ्वी पर मानव जीवन अधिक से अधिक चार वर्ष तक ही रह सकता है। ‘भारतीय माधवी परिषद’ के अनुसार मधुमक्खी पालन से किसानों की आय में गुणात्मक वृद्धि हो रही है। मधुमक्खी पालन ग्रामीण परिवेश में रोजगार का उत्तम साधन होने के साथ ही पूरे पारिस्थितिकीय तंत्र को सकारात्मक रूप से सुदृढ़ और सुंदर बनाता है। कृषि और मधुमक्खी पालन एक दूसरे के पूरक भी हैं।
मधुमक्खियों की दुनिया ही अलग है। पृथ्वी पर २०,००० से अधिक प्रकार की मधुमक्खियाँ हैं जिनमें से मुख्य रूप से चार प्रकार की मधुमक्खियाँ ही शहद बना पाती हैं। मधुमक्खी के हर छत्ते में एक रानी, कई हजार श्रमिक और कई नर होते हैं। मधुमक्खी अपनी विशेष प्रकार की ग्रन्थि से निकलने वाले मोम से अपना घर बनाती हैं जिसे शहद का छत्ता (Honey Comb) कहा जाता है। इन छत्तों का इस्तेमाल मधुमक्खियाँ अपना परिवार बढ़ाने एवं भोजन इकट्ठा करने के लिए करती हैं।
मधुमक्खियों के कुछ प्रमुख उत्पाद इस प्रकार है-
शहद
रॉयल जेली
प्रोपोलिस
बी पोलेन
मोम
बी वेनम
मधुमक्खियाँ
मधुमक्खी पालन शुरू करने के लिए सर्वप्रथम स्थान का चयन किया जाना चाहिए। स्थान का चयन फूलों की उपलब्धता, सुरक्षा और सुविधा के अनुसार किया जाता है। सही स्थान के अतिरिक्त सफल मधुमक्खी पालन के लिए उचित प्रशिक्षण भी आवश्यक है।
मधुमक्खी पालन के फ़ायदों को देखते हुए कई सरकारी और गैर सरकारी संस्थाएं इसके लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाती हैं। प्रामाणिक और प्रभावी प्रशिक्षण के लिए आप निमनांकित कुछ प्रमुख संस्थाओं में से किसी में भी संपर्क कर सकते हैं:
भारतीय माधवी परिषद (नेशनल बी बोर्ड ) (https://nbb.gov.in/)
कृषि विज्ञान केंद्र (https://icar.org.in/hi)
जिला उद्यान विभाग
खादी और ग्राम उद्योग आयोग (के वी आई सी) (https://www.kviconline.gov.in/)
किसान चाहें तो मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण अग्रिकाश के उदेस हनी फार्म्स से भी ले सकते हैं। इसके लिए आप फोन नंबर 9555211341 पर संपर्क कर सकते हैं अथवा info@agrikaash.com पर ईमेल कर जानकारी मँगा सकते हैं।